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अमित शाह के साथ बेनतीजा रही किसानों की मुलाकात, छठे दौर की बैठक रद्द

Babita Pant

नई द‍िल्‍ली 09 Dec, 2020 01:16 pm

नए कृषि कानून (Farm Laws) के खिलाफ किसानों के विरोध-प्रदर्शन का आज 14वां दिन है. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्‍ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) के मुताबिक केंद्र सरकार के साथ बुधवार को होने वाली किसानों की बैठक स्‍थगित हो गई है. इसी के साथ उन्‍होंने यह भी बताया कि सितंबर में संसद द्वारा पारित विवादित कृषि कानून पर सरकार जब उन्‍हें संशोधित ड्राफ्ट का प्रस्‍ताव सौंपेगी तब वे उस पर विचार करने के बाद ही आगे की रणनीति तय करेंगे. समाचार एजेंसी पीटीआई ने एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि किसानों के साथ सरकार की छठे दौर की बातचीत स्‍थगित कर दी गई है क्‍योंकि किसान नेताओं ने बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया था.

टिकैत के मुताबिक, "केंद्र जो ड्राफ्ट भेजेगा हम उस पर बैठक करेंगे. ड्राफ्ट पर चर्चा की जाएगी और आगे की रणनीति तय की जाएगी. हमें उम्‍मीद है कि आज शाम 4 से 5 बजे तक स्थिति स्‍पष्‍ट हो जाएगी."

आपको बता दें कि इससे पहले मंगलवार को 14 किसान नेताओं ने कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. 

अमित शाह से साथ हुई किसानों की बैठक देर रात तक चली, लेकिन बेनतीजा रही. बैठक से बाहर आने के बाद अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हनन मुला ने कहा कि सरकार कृषि कानून वापस लेने को तैयार नहीं है. ऐसे में अब बुधवार को विज्ञान भवन में सरकार और किसानों के बीच कोई बैठक नहीं होगी.

हनन मुल्ला ने कहा कि सरकार किसानों को लिखित में प्रस्ताव भेजेगी. इस प्रस्‍ताव पर किसान नेताओं की बैठक में विचार किया जाएगा. प्रस्ताव पर चर्चा के बाद हम आगे फैसला करेंगे.  

आपको बता दें कि किसानों और सरकार के बीच अब तक पांच राउंड की बातचीत हो चुकी है और आज छठे दौर की बैठक होनी थी. ये सभी बैठकें बेनतीजा रहीं. सरकार और किसान दोनों अपने-अपने रुख पर कायम हैं. सरकार का कहना है कि वह कानून तो वापस नहीं लेगी, लेकिन कुछ संशोधन जरूर कर सकती है. इन संशोधनों का ड्राफ्ट पहले किसानों को भेजा जाएगा. वहीं, किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं. किसानों का मानना है कि नए कृषि कानून से उनकी आमदनी प्रभावित होगी और बड़ी संस्‍थाओं को लाभ मिलेगा. किसानों के मुताबिक कृषि कानून को वापस लेने के साथ ही उनकी सभी चिंताएं और असंतोष दूर हो जाएगा, लेकिन संशोधन मंजूर नहीं हैं.

गौरतलब है कि हजारों किसान विशेषकर पंजाब और हरियाणा के किसान 26 नवंबर से कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्‍होंने 'दिल्‍ली' चलो मार्च आयोजित किया था, जिसके चलते राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली की सीमाओं पर किसान का घेराव है. ये किसान संसद द्वारा पारित कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) कानून 2020 (The Farmers’ Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Act, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध कानून 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Act, 2020) और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 (Essential Commodities (Amendment) Act 2020) का विरोध कर रहे हैं.

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